Menu
blogid : 17203 postid : 736015

गजल

kavita
kavita
  • 43 Posts
  • 42 Comments

गजल

हो गया है प्यार करना था नहीं |
दिल हुआ लाचार करना था नहीं ||

तैर सकता मै नहीं मझधार में |
पीर सागर धार करना था नहीं ||

लूट कर दिल ले गए है वो मेरा |
यार पर एतबार करना था नहीं ||

दी नजर या वो नजर का तीर था |
तीर दिल के पार करना था नहीं ||

दर्द दिल जो जगा कर इल्म दे |
इस कदर उपकार करना था नहीं ||

दिल महल में बस गए महबूब थे |
दिल उन्हें गद्दार करना था नहीं ||

दोस्त दिल भगवान पत्थर हो |
वेदना हुंकार करना था नहीं ||

प्यार तुम करते नहीं तो ठीक था |
प्यार को तलवार करना था नहीं ||

जान कारी दे रहा शिव जान ले |
दर्द का संसार करना था नहीं ||

आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
०९४१२२२४५४८

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh