kavita
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गजल
हो गया है प्यार करना था नहीं |
दिल हुआ लाचार करना था नहीं ||
तैर सकता मै नहीं मझधार में |
पीर सागर धार करना था नहीं ||
लूट कर दिल ले गए है वो मेरा |
यार पर एतबार करना था नहीं ||
दी नजर या वो नजर का तीर था |
तीर दिल के पार करना था नहीं ||
दर्द दिल जो जगा कर इल्म दे |
इस कदर उपकार करना था नहीं ||
दिल महल में बस गए महबूब थे |
दिल उन्हें गद्दार करना था नहीं ||
दोस्त दिल भगवान पत्थर हो |
वेदना हुंकार करना था नहीं ||
प्यार तुम करते नहीं तो ठीक था |
प्यार को तलवार करना था नहीं ||
जान कारी दे रहा शिव जान ले |
दर्द का संसार करना था नहीं ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
०९४१२२२४५४८
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