Menu
blogid : 17203 postid : 736002

गजल

kavita
kavita
  • 43 Posts
  • 42 Comments

गजल

न जीने की ख़ुशी मुझको न मरने का है गम कोई |
न कोई मेरा साथी है न है हमदम सनम कोई ||

खुदा तू ऐसे बन्दों को जमीं पर भेजता क्यूँ है ?
मुकद्दर है नहीं कोई न निभ पाया धरम कोई ||

यहाँ जो प्यार करते है उन्हें पागल कहा जाता |
जो पागल ही बना देते वो तुझसे क्या है कम कोई ?

यहाँ पर बेरहम जालिम हँसीनों के है दिल पत्थर |
पिघल सकते नहीं पत्थर भले दे तोड़ दम कोई ||

खुदा तेरा नियम पक्का सभी को न्याय मिलाता है |
वफ़ा को है जफा मिलती ये बदला क्या नियम कोई ?

बना भगवान् पत्थर का मगर वो भी है सुन लेता |
सनम जो फूल से नाजुक नहीं रहमो करम कोई ||

हवा से ही नजारों का यहाँ बनना मुकम्मल है |
सही को भी कहे साजिस ये सच है या भरम कोई ||

जगी है ये गजल या फिर बहर करती बावरा है |
मुझे लगता है दिल टूटा फटा दिल में है बम कोई ||

कलम दिल खून से भरकर लिखीं शिव ने बहुत गजलें |
मेरे महबूब कातिल है मुहब्बत ना रहम कोई ||

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh