kavita
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किसी टूटे हुए दिल की सिसकती आह मत लेना |
समन्दर है बहुत गहरा कभी भी थाह मत लेना ||
मुहब्बत फूल काँटों की बड़ी नाजुक डगर सी है |
पुजारन तू है दौलत की मुहब्बत राह मत लेना ||
यहाँ बिकता बहुत कुछ है मगर सब कुछ नहीं बिकता |
खिलौनों को खरीदो तुम ह्रदय की चाह मत लेना ||
गुनाहों के सिकंदर या हों हिटलर ध्वस्त होते है |
गुनह की महफ़िलों में तुम क़ुबूल गुनाह मत लेना ||
जमानें की बहुत फर्जी खबर अफवाह होती है |
सदा ही दूर रहना तुम कभी अफवाह मत लेना ||
मिले जो वाह वाही तो कोई दिल तोड़ देते है |
बहुत दिल दर्द होता है तू ऐसी वाह मत लेना ||
निगाहें काट देती है जिगर को पीर होती है |
गरीबों पर रहम करना जुल्म निगाह मत लेना ||
आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
नॉएडा -०९४१२२२४५४८
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