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गजल

kavita
kavita
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हो रही अब बात उनसे है नहीं |
मिल सकूं औकात उनसे है नहीं ||

काम जब था खूब मिलते थे कभी |
बात अब कुछ ख़ास हमसे है नहीं ||

शायरी का रंग अब बदरंग है |
रूठ सकता यार मुझसे है नहीं ||

पास तो महबूब दिल के है सदा |
खो गया दिल पास कबसे है नहीं ||

चमक दिखलाकर सुधाकर छिप गया |
तिमिर छाया चाँद जबसे है नहीं ||

लिख रहा शिव शायरी दिल खून से |
दर्द दिल इजहार सबसे है नहीं ||

आचार्य शिवप्रकाश अवस्थी
नॉएडा -०९४१२२२४५४८

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